Wednesday, April 18, 2007

कवन

जीवनाचे तरु | लोटले संसारी|
जावे पैलतीरी| ध्येय एक ||१||

या भवसागरी| षडरिपूंचे डोह|
गटांगळे जीव| त्यांत नित्य ||२||

चिंतेची वादळे| येती प्रवासात|
भरकटे जीव| वादळांत ||३||

मायेचा भोवरा| मोहवी मनांस|
घालितसे पाश| जीवां नित्य ||४||

सुखदुःखरूपी| हा भवसागर|
तरण्यास जपा| रामनाम ||५||

कवनाची स्फूर्ती| दिली रामराये|
मी तर जुळारी| जीव एक ||६||


-सौ. प्रतिमा उदय मनोहर

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